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"कब तक रहेगा तू चुप भाई हमारा" Kub Tak Rahega Tu Chup Poem Lyrics



कविता शीर्षक :- "कब तक रहेगा तू चुप भाई हमारा"

कब तक रहेगा तू चुप  भाई हमारा,
तेरे सामने बिक रहा देश सारा,
कब तक रहेगा तू चुप  भाई  हमारा,
तेरे सामने बिक रहा देश ये सारा...........

साफ़ बात ना कोई आंटा ना कोई साटा,
पचा  गया नेता सडको का रोड़ी भाटा,
खा गया देश का चारा सारा,
तेरे सामने बिक रहा ये देश सारा,
कब तक रहेगा तू चुप  भाई हमारा,

कुकुरमुत्तों की फौज भ्रस्टाचारी,
खाते ये सब लेकिन  बारी बारी,
तू है भूखा जब अनाज से भरा गोदाम सारा,
तेरे सामने बिक रहा ये देश सारा,
कब तक रहेगा तू चुप  भाई हमारा,

चारो तरफ फैले कितने गरीब लोग ही लोग,
फैला रहे नए पुराने रोग ही रोग,
क्यों सोच रहा वह,
जिसको चुना गरीब ने मंत्री हमारा,
तेरे सामने बिक रहा ये देश सारा,
कब तक रहेगा तू चुप  भाई हमारा,

भगवा को  भी तो एक जॉब बनाया है,
किसानो की जमीन दबा एक आश्रम बनाया है,
धर्म को बेच रहा ये मोडर्न बाबा हमारा,
तेरे सामने बिक रहा ये देश सारा,
कब तक रहेगा तू चुप  भाई हमारा,

अधिकारी तो पैसे को जानता है,
नौकरी की एवज में मांगता है,
फिर भी  रात रात जागकर पढता,
होनहार नौजवान हमारा,
तेरे सामने बिक रहा ये देश सारा,
कब तक रहेगा तू चुप  भाई हमारा,

शेयर बाज़ार तो रोज उछलता है यहाँ ,
खून, किडनी, शरीर सब बिकता है यहाँ,
बड़ी सस्ती ईमानदारी,
किससे करेगा  शिकायत, 
कल आना विदेश घूमने गया आज अधिकारी हमारा,
तेरे सामने बिक रहा ये देश सारा,
कब तक रहेगा तू चुप  भाई हमारा, 

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कोई जोर चलता नहीं उन्हें लिखता